जब सफ़ेद दाग 3 माह में एकदम ठीक हो गया। A Case of Leucoderma by Dr C P Yadav

 एक लगभग 27 वर्षीय लकड़ी सफ़ेद दाग (Vitiligo) के इलाज के लिए आयी। White Spot उसके गर्दन के पीछे वाले हिस्से (Nape of neck) पर था। Spot का Size लगभग एक रुपये के सिक्के जितना था और ज्यादा दिन पुराना भी नहीं था, अभी Maximum 6 माह ही बीते थे। क्या फीवर में Aconite देना सही है ???


leucoderma treatment homeopathy

सबसे अच्छी बात ये थी, कि उसने अभी तक कोई भी Treatment नहीं लिया था। कोई Case जब पुराना हो जाता है, तो कई बार असफल इलाज के बाद बहुत जटिल हो जाता है जिसे ठीक करने में मुश्किल आती है। होमियोपैथी की ओर लोगों ध्यान तब जाता है जब कहीं से कोई समाधान नहीं मिलता। बुझे मन से, "मरता क्या न करता" वाली मनोस्थिति में जब होमियोपैथिक उपचार के लिए पेशेंट आता है, तो एक ओर जहाँ बीमारी अनेक दवाओं और उनके Side effect के कारण Complicate हो चुकी होती है दूसरी तरफ बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान के कारण मन में घोर निराशा होती है पता नहीं इन डॉक्टर से भी ठीक होगा या नहीं? और वो शीघ्र रिजल्ट की उम्मीद करता है। यही कारण है कि सफ़ेद दाग से पीड़ितों को लाभ नहीं मिल पाता।होमियोपैथिक डॉक्टर से मिलें अथवा स्पेशियलिस्ट डॉक्टर से ???


Treatment शुरू करने से पहले ही Patient को ये स्पस्ट रूप से बता दिया गया था कि कि ऐसे केस में Improvement (दवा का असर) शुरू होने में Minimum 3-4 माह का समय लग जातें हैं। इससे कम Time में सफेद दाग की रंगत में कोई बदलाव आना मुश्किल है। जहाँ किसी अन्य बीमारी हफ्ते- दस दिन में अंतर दिखने लगता है, वहीँ Vitiligo के Case में जरा भी राहत समझने में, कई महीने लग जाते हैं अतः Patient को पहले से Mind Makeup कराना पड़ता है, क्योंकि ये प्रॉब्लम ही ऐसी है कि जब तक Skin का रंग सामान्य होना शुरू नहीं होगा, तब तक न तो Patient को और न ही Doctor को ये स्पस्ट हो पायेगा कि दवा ने कार्य करना शुरू किया अथवा नहीं

leucoderma treatment homeopathy



बेलाडोना| homeopathic medicine belladonna uses in Hindi

इस Case की सबसे खास बात यही रही, कि अपेक्षा से बहुत ही कम समय, केवल एक माह में ही अंतर (Improvement) दिखने लगा और Leucoderma की (सफेद रंगत) Whiteness कम होने लगी। समय के साथ धीरे धीरे सफेदी घटती गयी और Skin का रंग वापस सामान्य होने लगा। लगभग 3 माह में ही उसकी पॉब्लम बहुत हद तक ठीक हो गयी और Skin का रंग पहले जैसा हो गया।



होमियोपैथिक इलाज से ठीक होने के बाद दुबारा सफेद दाग होने के सम्भावना बहुत कम रहती है क्योंकि उपचार के लिए कोई भी Cream या Ointment, Skin पर नहीं लगाया जाता। बस खाने के लिए दवाएं दी जाती है। जो भी बदलाव दिखता है वो अंदर से शुरू होता है मतलब Body ने खुद ही Melanocytes को सक्रिय करके Melanin बनाया होता है।

होमियोपैथी और एलोपैथी के प्रमुख अंतर

ये एक बहुत Complicated Case था क्योंकि Patient, अपनी Problems के बारे में किसी तरह की कोई विशेष Information नहीं दे पा रही थी। उसने सिर्फ इतना बताया कि उस जगह पर, जहाँ सफ़ेद दाग हो गया है, Itch हो रही थी जिसे ठीक करने के लिए कोई Cream लगाया था और ये प्रॉब्लम शुरू हो गयी। चूंकि सफ़ेद दाग सरीके Case में केवल एक White Spot होता है जिसे ठीक करना होता है, कोई Modality नहीं मिलती कि प्रॉब्लम कब बढ़ती है, कब कम होती है, किस Factor से बढ़ती-घटती है, आदि आदि। ऐसे Cases में Patient की Personality के बारें में जानकारी करके ही दवा देना होता है की उसे क्या पसंद है, क्या नापसंद, गुस्सा कम आता है या अधिक, कम लोगों से संपर्क है या अधिक, Emotional है या Practical पर अभी सोसाइटी में इस बारें में थोड़ी कम जागरूकता है।


लोगों को सिर्फ तकलीफ बता का दवा लेने की आदत है। जब उनसे स्वभाव के बारें में पूछा जाता है तो कई बार लोग बताने के बाद भी इसकी Importance नहीं समझ पाते कि अपने स्वभाव के विषय में बताना Homeopathic treatment के लिए बहुत ही आवश्यक और Importatnt Foctor है। ये Case, Leucoderma के अन्य केसेस से, थोड़ा अधिक Complicated था, वो इसलिए क्योंकि, एक तो ऐसे Cases में Physical Symptoms कुछ मिलता नहीं और ऊपर से पेशेंट अपने स्वाभाव के विषय में कुछ भी नहीं बता रही थी। कुछ भी पूछने पर उसका एकमात्र यही उत्तर होता था "ऐसी कोई बात नहीं या सब ठीक है " जबकि उसके Facial Expression से साफ पता चल रहा था कि वो कुछ छुपाने का असफल प्रयास कर रही है। 


leucoderma treatment homeopathy

सोरियासिस के बारे में कम्पलीट इन्फॉर्मेशन

सामान्यतः जब कोई ऐसा केस आ जाता है, जब पेशेंट अपने बारें में कुछ भी नहीं बताना चाहता तो होमियोपैथिक फिजिशियन केवल उसकी प्रॉब्लम आदि को, डिटेल में पूछकर मेडिसिन देने में सक्षम होता है, पर यहाँ इस के केस में जानना थोड़ा आवश्यक था ताकि मेडिसिन देने का कोई बेस तो बने। होमियोपैथी अनंत है, उसे किसी भी परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता है। होमियोपैथी की कोई लिमिट नहीं है, लिमिट है तो सिर्फ होमियोपैथिक फिजिशियन की। ऐसे Challenging Cases ही Homeopathic Physician के ज्ञान और अनुभव को सुदृढ़ करते हैं और पेशेंट के साथ ही डॉक्टर का मन भी होमियोपैथी के प्रति सम्मान और प्रेम का अनुभव करता है। यही Dr Hahnemann के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।


हमारी Skin में Melanoytes नाम की Cells होती हैं जो Melanin बनाकर Skin का रंग निर्धारित करती हैं। हम सब की त्वचा का भिन्न भिन्न रंग इसी के वजह से है। सफेद दाग एक Autoimmune disorder है  मतलब एक ऐसी बीमारी जिसमें त्वचा की रंगत बनाने वाली हमारी स्वयं की Melanocytes के विरुद्ध, हमारा खुद का शरीर ही Antibodies बना कर उन्हें मारने लगता है जिसके फलस्वरूप Melanocytes की संख्या घटने लगती है और शरीर पर सफेद चकत्ते यानि white spots दिखने लगते हैं। ऐसा क्यों होता है कि खुद की Body ही अपनी Cells को Destroy करने लगती है, इसका कारण अभी तक ज्ञात नहीं है।


Dr C P Yadav
Medical officer (Hom)
drcpyadav31@gmail.com


No comments:

Post a Comment